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संशय

Home - कविता-काव्य - संशय
  • विस्मयBy विस्मय
  • August 9, 2024

खुसी छु-
म मरेको छुइनँ,
जिउँदै छु।

तर
खुसी पनि के जताउँ र!
सास फेर्नु मात्रै
जीवन हो र?

@ विस्मय !

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