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मेरै छायाँ

Home - कविता-काव्य - मेरै छायाँ
  • विस्मयBy विस्मय
  • October 18, 2024

सपना’थे सबै टुटे
कुन मोडमा, कता छुटे!
मलाई छोडी मेरै मुटु
टाढा सरेछ।
मलाई छोडी मेरै छायाँ
कतै झरेछ!

@ विस्मय !

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